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Supreme Court on caste discrimination in universities: विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने UGC से चार सप्ताह के भीतर सभी डेटा और कार्रवाई की जानकारी देने को कहा है।

Supreme Court on caste discrimination in universities: विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 जनवरी) को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को जातिगत भेदभाव के दर्ज मामले का डेटा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि आयोग देशभर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 2012 के नियमों के तहत दर्ज जातिगत भेदभाव की शिकायतों का डेटा प्रस्तुत करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुयान की पीठ ने यूजीसी से कहा कि वह केंद्रीय, राज्य, डीम्ड और निजी विश्वविद्यालयों में समान अवसर प्रकोष्ठ (Equal Opportunity Cell) की स्थापना और उनके तहत प्राप्त शिकायतों का विवरण भी उपलब्ध कराए। इसके साथ ही पीठ ने कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी है।

विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव के मामले
यह मामला रोहित वेमुला और पायल तड़वी की आत्महत्या से जुड़ा है। इन दोनों की आत्महत्या के पीछे शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव को बताया गया था। रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां की ओर से दायर जनहित याचिका (PIL) में उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए सशक्त और कारगर मैकेनिज्म बनाये जाने की मांग की गई है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2004 से 2024 के बीच आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों में 115 आत्महत्याएं दर्ज हुई हैं। इनमें से कई मामले अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) समुदाय के छात्रों से जुड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों की संवेदनशीलता को समझते हुए मामले की नियमित सुनवाई का निर्णय लिया है।

यूजीसी पर 2012 के नियमों को लागू नहीं करने का आरोप
याचिकाकर्ताओं का पक्ष रख रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि यूजीसी 2012 के नियमों को लागू करने में असफल रही है। उन्होंने कोर्ट से केंद्र सरकार और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से भी डेटा मांगे जाने की अपील की, जिसमें SC/ST समुदाय के छात्रों की आत्महत्याओं का रिकॉर्ड शामिल हो।

रोहित वेमुला और पायल तड़वी का मामला
रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे। 17 जनवरी 2016 को जातिगत भेदभाव के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।

इसी तरह, पायल तड़वी, जो मुंबई के टॉपिवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की एक आदिवासी छात्रा थीं। उन्हें 22 मई 2019 को उनके सीनियर द्वारा जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी को चार सप्ताह के भीतर सभी डेटा और कार्रवाई की जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 2012 के नियमों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक मैकेनिज्म बनाये।

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