Republic Day: गणतंत्र दिवस की झांकियों के बीच दिल्ली की झांकी परेड का आकर्षण बनी और साथ ही ये झांकी राजनीतिक संदेश भी छोड़ गई। इस झांकी से शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों और उपलब्धियों की झलक देखने को मिली और इससे कहीं न कहीं विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली सरकार को अपने कामकाज का प्रचार करने का मौका मिला।
शिक्षा मॉडल पर आधारित रही दिल्ली की झांकी
कर्तव्य पथ पर इस बार दिल्ली की झांकी 'शिक्षा की गुणवत्ता' पर आधारित रही। इस झांकी में दिल्ली के सरकारी स्कूलों और संस्थानों की झलक देखने को मिली। दिल्ली की झांकी में सरकारी स्कूल के क्लासरूम, लाइब्रेरी, आधुनिक लैब और छात्रों की क्रिएटिविटी दिखाई गईं। ये झांकी और भी खास इसलिए रही क्योंकि इस झांकी को अंतिम समय में शामिल किया गया। इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से इस झांकी को मंजूरी नहीं दी गई थी, जिसके कारण दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में काफी शोरगुल भी सुनने को मिला।
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केजरीवाल ने कई बार उठाया मुद्दा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बार-बार ये मुद्दा उठाते हुए कहा कि साल 2020 के बाद से दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राजनीति के तहत उनकी झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में जगह नहीं दी गई। हालांकि इस बार अंतिम क्षणों में दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल करने का फैसला लिया गया।
राजनीतिक नजरिए से दिल्ली की झांकी का महत्व
दिल्ली में 10 दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षा पर आधारित यह झांकी राजनीतिक नजरिए से भी जरूरी है क्योंकि आम आदमी पार्टी शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। सरकारी स्कूलों में सुधार करना, शिक्षा बजट, शिक्षा मॉडल के साथ ही स्वास्थ्य मॉडल में मोहल्ला क्लीनिक आदि में बढ़ोतरी जैसे कदम आम आदमी पार्टी की पहचान बने हैं। झांकी के माध्यम से कहीं न कहीं दिल्ली सरकार को चुनाव में प्रचार करने का एक मौका मिला है क्योंकि दिल्ली के कर्तव्य पथ पर जब ये झांकी निकाली गई, तब वहां पर 77 हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे। इस तरह ये झांकी दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा में क्रांति लाने के दावों पर सही रही।
कर्तव्य पथ पर रैली के बाद केजरीवाल सरकार ने भाजपा पर साधा निशाना
कर्तव्य पथ पर दिल्ली की झांकी निकाले जाने के बाद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां वे भाजपा पर हमलावर रहे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के पास दो मॉडल हैं। पहला केजरीवाल मॉडल, जहां जनता का पैसा खर्च होता है और दूसरा बीजेपी मॉडल, जहां जनता का पैसा उनके अमीर दोस्तों की जेब में जाता है। अब दिल्ली के लोगों को ही तय करना होगा कि उन्हें कौन सा मॉडल चुनना है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव केवल दिल्ली का चुनाव नहीं है बल्कि देश बचाने का भी चुनाव है।
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